English
What is the reason for the excellences and merits of the different groups of believers?
Excerpt – 31
Book – Kamaaluddin wa tamam un nemah
Author –Shaikh As-Saduq(a.r.)
Chapter 24 : Traditional proofs that Imam Mahdi (a.t.f.s) is the Twelfth Divinely appointed Imam.(part 4)
In this chapter Shaikh Saduq (ar) brought 37 traditional reports mentioning that Imam Mahdi (a.t.f.s) is the Twelfth divinely appointed Imam. We in our excerpts are presenting parts from just few of these.
In the 25th tradition it is mentioned that once during the caliphate of Usman the people had gathered in the Prophets mosque and were recounting the merits of the Quraish and Ansars. When they requested Hazrat Ali(as) to speak, he asked:
‘O people of Quraish! O group of Ansaar! Through whom has Allah given you these merits – is it because of you yourselves or because of your tribes, or people of your house or somebody else apart from you?’
They unanimously replied that this was due to the Holy Prophet(s.a.w.a) of Islam.
He later on narrated from the Holy Prophet (s.a.w.a) that: ‘I and my Ahle Bayt – we were, each and everyone of us, one Noor (light) that were walking in presence of Allah 14000 years before Adam was created, and when Adam was created, this light was put in his loins and brought to this earth. Then this light was put in the boat through Nuh, and then in the fire through Ibrahim and after that transferred on highly esteemed loins and pure wombs and then from pure wombs towards extremely respected loins, within such fathers and mothers who never met each other unlawfully.’ Then Ali (a.s.) enumerated various Quranic verses about the Ahlebait (as) and got a testimony from those present about its veracity.
While mentioning about the Quranic verses revealed in Ghadeer he(as) said that the Holy Prophet (s.a.w.a) said, 'Allaho Akbar, my Prophethood is complete and Allah’s religion is complete with Ali’s Wilayat after me.’
At that moment Abu Bakr and Umar stood up and asked: ‘O Messenger of Allah! Is this verse only for Ali?’ The Holy Prophet (s.a.w.a.) replied: ‘Indeed, for him and for all my inheritors till the Day of Judgment.’ They both said: ‘O Messenger of Allah! Tell us who they are.’ The Holy Prophet (s.a.w.a.) said: ‘Ali, my brother, my vizier, my successor, my inheritor, and my caliph in my Ummah after me, and guardian of all Momineen after me, then my son Hasan, then my son Husain, then my son Husain’s nine children, one after the other. Quran will be with them all and they will all be with Quran. They all will not leave Quran and Quran will not leave them all until they reach me at my Fountain.’
Thus all excellences and merits of the believers is only due to the Holy Prophet (s.a.w.a) and his pure Ahlebait (as) comprising of the 12 Imams. May the Almighty always keep us steadfast on this true belief.
Urdu
مومنین کے مختلف گروہوں کی فضیلت اور خوبیاں کس بنا پر ہیں؟
اقتباس - 31
📚 کتاب - کمال الدین و تمام النعمه
مصنف –شیخ الصدوق (ع.ر.)
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باب 24: آنحضرت (صلی الله علیه وآله وسلم) کی روایات کہ امام مہدی (علیه السلام) الله کے بارہویں معین کردہ امام ہیں. (حصہ 4)
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اس باب میں شیخ الصدوق (رع) ایسی 37 روایات لائے ہیں جو یہ ذکر کرتی ہیں کہ امام مھدی (علیه السلام) الله کے مقرر کردہ بارہویں امام ہیں۔
ہم اپنے ان اقتباسات میں مختصر طور پر کچھ حصے پیش کررہے ہیں۔
25 ویں روایت میں بیان ہوتا ہے کہ ایک بار خلافت عثمان کے دور میں لوگ مسجد رسول (صلی الله علیه وآله وسلم) میں جمع تھے اور وہاں قریش اور انصار آپس میں ایک دوسرے سے اپنی فضیلت و خوبیاں بیان کر رہے تھے۔
اسی اثنا میں ان لوگو نے حضرت علی (علیه السلام) سے درخواست کی کہ آپ بھی کچھ بیان کریں تب حضرت علی (علیه السلام) نے ان سے سوال کیا:
"اے اہل قریش! اے انصار کے گروہ! الله نے کس کی بنا پر تم لوگوں کو یہ فضیلت و خوبیاں عطا کی ہیں- کیا یہ تمہاری خود کی وجہ سے ہیں یا تمہارے قبیلوں کی وجہ سے، یا تمہارے اہل خانہ کی وجہ سے ہیں، یا تمہارے علاوہ کسی اور کی وجہ سے حاصل ہوئیں ہیں؟
سب نےایک زبان جواب دیا کہ یہ پیغمبر اکرم (صلی الله علیه وآله وسلم) اور ان کے خاندان کی بنا پر ہیں۔
پس حضرت علی (علیه السلام) نے ان کے سامنے آنحضرت (صلی الله علیه وآله وسلم) کی ایک حدیٹ بیان کی کہ آنحضرت (صلی الله علیه وآله وسلم) نے فرمایا:
"میں اور میرے اہل بیت- ہم سب ایک نور تھے جو آدم (علیه السلام ) کی خلقت سے 14000 سال قبل الله کی بارگاہ میں موجود تھے، جب آدم (علیه السلام) کو خلق کیا گیا تو اس نور کو آدم (علیه السلام) کے صلب میں قرار دیکر زمین پر بھیجا گیا۔ پھر یہ نور صلب نوح(علیه السلام) میں سفینہ میں موجود تھا۔ پھر یہ نور صلب ابراہیم(علیه السلام) میں تھا اور اس کے بعد پاک رحموں سے انتہائی معزز صلبوں کی طرف منتقل ہوتا رہا۔ اس سلسلہ میں کہیں بھی زنا جیسی برائیوں کا گذر نہیں ہوا۔
پھر مولائے کائنات (علیه السلام) نے اہل بیت (علیهم السلام) کے بارے میں مختلف قرآنی آیات پیش کیں اور موجود لوگوں سےاس کی حقانیت کی گواہی طلب کی۔
اسی کے ساتھ ساتھ آیئہ غدیر کا تذکرہ کرتے ہوئے آپ (علیه السلام) نے کہا کہ :
حضور اکرم (صلی الله علیه وآله وسلم) نے فرمایا: "الله اکبر! ميرے بعد على (علیه السلام) کی ولایت سے میری نبوت اور الله کا دین مکمل ہوا ۔"
اس وقت ابوبکر اور عمر کھڑے ہوئے اور پوچھا: ’’ یا رسول الله! کیا یہ آیت صرف علی (علیه السلام) کے لئے ہے؟ ’’ حضور اکرم (ص) نے جواب دیا: ‘ بے شک، اسی کے لئے ہے اور قیامت تک میرے تمام اوصیاء کے لئے ہے۔‘
ان دونوں نے کہا: ’’ یا رسول الله! ہمیں بتائے کہ وہ کون ہیں۔ رسول الله (صلی الله علیه وآله وسلم) نے فرمایا: "علی، میرا بھائی، میرا وزیر، میرا جانشین ، میرا وارث، اور میرے بعد میری امت میں میرا خلیفہ، اور میرے بعد تمام مومنین کا ولی ہے، پھر میرا بیٹا حسن(علیه السلام)، پھر میرا بیٹا حسین (علیه السلام)، پھر یک بعد دیگر میرے بیٹے حسین(علیه السلام) کے نو فرزند۔ قرآن ان سب کے ساتھ ہوگا اور یہ سب قرآن کے ساتھ ہوں گے۔ یہ سب قرآن سے جدا نہ ہونگے اور قرآن ان سے جدا نہ ہو گا۔ یہاں تک کہ وہ مجھ سے حوض کوثر پر ملاقات کرینگے۔"
چنانچہ مومنین کی ساری فضیلت و خوبی صرف اور صرف رسول اکرم (صلی الله علیه وآله وسلم) اور ان کے اہل بیت اطہار (علیهم السلام) جو کہ 12 امام ہیں، کی بنا پر ہے۔
پروردگار عالم کی بارگاہ میں دعا گو ہیں کہ وہ ہمیں ہمیشہ اس سچے عقیدے پر ثابت قدم رکھے۔ آمین۔
Hindi
मोमेनीन के मुख़्तलिफ़ गरोहों की फ़ज़ीलत और ख़ूबियाँ किस बिना पर हैं?
इक्तेबासः 31
📚 किताबः कमालुद्दीन व तमामुन्नेमा
मुसन्निफ़ः शैख़े सुदूक़ (अलैहिर्रह्मा)
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बाब 24: आँहज़रत (सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम) की रवायात के इमाम महदी (अलैहिस्सलाम) अल्लाह के बारहवें मुऐयन कर्दा इमाम हैं। (हिस्सा 4)
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इस बाब में शैख़े सुदूक़ (अलैहिर्रह्मा) ऐसी 37 रवायात लाए हैं जो ये ज़िक्र करती हैं कि इमाम महदी (अलैहिस्सलाम) अल्लाह के मुक़र्रर कर्दा बारहवें इमाम हैं।
हम अपने इस इक़्तेबास में मुख़्तसर तौर पर कुछ हिस्सा पेश कर रहे हैं।
25वीं रवायात में बयान होता है कि एक बार ख़ेलाफ़ते उसमान के दौर में लोग मस्जिदे रसूल (सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम) में जमा थे और वहाँ क़ुरैश और अन्सार आपस में एक दूसरे से अपनी फ़ज़ीलत व ख़ूबियाँ बयान कर रहे थे।
इसी असना में उन लोगों ने हज़रत अली (अलैहिस्सलाम) से दरख़्वास्त की कि आप भी कुछ बयान करें तब हज़रत अली (अलैहिस्सलाम) ने उन से सवाल कियाः
ऐ अह्ले क़ुरैश! ऐ अन्सार के गरोह! अल्लाह ने किस कि बिना पर तुम लोगों को येह फ़ज़ीलत व ख़ूबियाँ अता की हैं – किया येह तुम्हारी ख़ुद की वजह से हैं या तुम्हारे क़बीलों की वजह से हैं, या तुम्हारे अह्ले ख़ाना की वजह से हैं, या तुम्हारे अलावा किसी और की वजह से हासिल हुईं हैं?
सब ने एक ज़बान जवाब दिया कि ये पैग़म्बर अकरम (सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम) और उनके ख़ानदान की बिना पर हैं।
पस हज़रत अली (अलैहिस्सलाम) ने उनके सामने आँहज़रत (सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम) की एक हदीस बयान की आँहज़रत (सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम) ने फ़रमायाः
मैं और मेरे अह्लेबैत, हम सब एक नूर थे जो आदम (अलैहिस्सलाम) की ख़िल्क़त से 14000 साल क़ब्ल अल्लाह की बारगाह में मौजूद थे, जब आदम (अलैहिस्सलाम) को ख़ल्क़ किया गया तो उस नूर को आदम (अलैहिस्सलाम) के सुल्ब में क़रार देकर ज़मीन पर भेजा गया। फिर येह नूर सुल्बे नूह (अलैहिस्सलाम) में सफ़ीना में मौजूद था। फिर ये नूर सुल्बे इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) में था और उसके बाद पाक रह़मों से इन्तेहाई मोअज़्ज़िज़ सुल्बों की तरफ़ मुन्तक़िल होता रहा। इस सिलसिले में कहीं भी ज़िना जैसी बुराईयों का गुज़र नहीं हुआ।
फिर मौलाए काएनात (अलैहिस्सलाम) ने अह्लेबैत (अलैहिमुस्सलाम) के बारे में मुख़्तलिफ़ क़ुरआनी आयात पेश कीं और मौजद लोगों से उसकी हक़्क़ानियत की गवाही तलब की।
उसी के साथ आयए ग़दीर का तज़केरा करते हुए आप (अलैहिस्सलाम) ने फ़रमाया किः
हुज़ूर अकरम (सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम) ने फ़रमायाः अल्लाहो अकबर! मेरे बाद अली (अलैहिस्सलाम) की विलायत से मेरी नबूवत और अल्लाह का दीन मुकम्मल हुआ।
उस वक़्त अबूबक्र और उमर खड़े हुए और पूछाः या रसूलुल्लाह! किया ये आयत सिर्फ़ अली (अलैहिस्सलाम) के लिए है? हुज़ूर अकरम (स.) ने जवाब दियाः बेशक, इनके लिए है और क़यामत तक मेरे तमाम औसिया के लिए है।
उन दोनो ने कहाः या रसूलुल्लाह! हमें बताइये कि वो कौन हैं। रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम) ने फ़रमायाः अली, मेरा भाई, मेरा वज़ीर, मेरा जानशीन, मेरा वारिस, और मेरे बाद मेरी उम्मत में मेरा ख़लीफ़ा, और मेरे बाद तमाम मोमेनीन का वली है, फिर मेरा बेटा हसन (अलैहिस्सलाम), फिर मेरा बेटा हुसैन (अलैहिस्सलाम), फिर यक्के बाद दीगरे मेरे बेटे हुसैन (अलैहिस्सलाम) के नौ फ़र्ज़ंद। क़ुरआन उन सब के साथ होगा और ये सब क़ुरआन के साथ होंगे। ये सब क़ुरआन से जुदा न होंगे और क़ुरआन उन से जुदा न होगा। यहां तक कि वोह मुझ से हौज़े कौसर पर मुलाक़ात करेंगे।
चुनाँचे मोमेनीन की सारी फ़ज़ीलत व ख़ूबी सिर्फ़ और सिर्फ़ रसूले अकरम (सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम) और उनके अह्लेबैत अतहार (अलैहिमुस्सलाम) जो कि 12 इमाम हैं, की बिना पर है।
परवरदिगारे आलम की बारगाह में दुआ गू हूँ कि वोह हमें हमेशा इस सच्चे अक़ीदे पर साबित क़दम रखे। आमीन
Gujrati
*મો’મીનોના જુદા જુદા જૂથોની ફઝીલત અને ખૂબીઓનું કારણ શું છે.*
*સારાંશ : ૩૧*
*આઓ આપણે આપણા ઇમામને જાણીએ.*
*પુસ્તક : કમાલુદ્દીન વ તમામ ઉન નેઅમહ (ભાગ -૧)*
*લેખક : શેખ અસ-સદુક (અ.ર.)*
*પ્રકરણ ૨૪ : રસુલુલ્લાહ (સ.અ.વ.) થી રીવાયતી એહવાલ કે ઈમામ મહદી (અ.ત.ફ.શ.) બારમાં ઇલાહી નિયુક્ત ઈમામ છે. (ભાગ- ૪)*
આ પ્રકરણમાં શેખ અસ-સદુક (અ.ર.) ૩૭ હદીસો લાવ્યા છે જે ઉલ્લેખ કરે છે કે ઈમામ મહદી (અ.ત.ફ.શ.) બારમાં ઇલાહી નિયુક્ત ઈમામ છે. અમે અમારા સંસ્કરણોમાં તેમાંથી અમુકના અંશો રજુ કરીએ છીએ.
પચ્ચીસમી હદીસમાં ઉલ્લેખ છે કે એક વાર ઉસ્માનની ખીલાફત દરમ્યાન લોકો મસ્જીદુન્નબીમાં ભેગા થયા હતા અને કુરૈશ અને અન્સારના ગુણો ગણી રહ્યા હતા. જયારે તેમણે હઝરત અલી (અ.સ.) ને બોલવા કહ્યું, આપે ફરમાવ્યું :
‘યા કુરૈશ! યા અન્સાર! આ ગુણો તમને કોના થકી અલ્લાહે આપ્યા છે – શું આ તમારા પોતાના કારણે છે અથવા તમારા કબીલાના કારણે છે, અથવા તમારા ઘરવાળાઓના કારણે અથવા તમારા સિવાય કોઈ બીજાના કારણે?
તેઓએ સર્વાનુમતે જવાબ આપ્યો રસુલુલ્લાહ (સ.અ.વ.) ને કારણે છે.
પછી તેઓએ રસુલુલ્લાહ (સ.અ.વ.) થી રીવાયત નક્લ કરી કે : ‘હું અને મારી એહ્લેબય્ત (અ.સ.) – અમે, અમારામાંનો દરેક, એક નુર હતા જે અલ્લાહની હુજુરમાં આદમ (અ.સ.) ની ખીલકતના ૧૪૦૦૦ વર્ષ પેહલા હતા, અને જયારે આદમ (અ.સ.) ને ખલ્ક કરવામાં આવ્યા, આ નુરને તેમની સુલ્બમાં મુકવામાં આવ્યું અને આ પૃથ્વી પર લાવવામાં આવ્યું.
ગદીરમાં નાઝીલ થએલ કુર’આનની આયાતોનો ઉલ્લેખ કરતા રસુલુલ્લાહ (સ.અ.વ.) એ ફરમાવ્યું, ‘અલ્લાહો અકબર, મારા બાદ અલીની વીલાયતથી મારી નબુવત સંપૂર્ણ થઇ અલ્લાહનો દિન સંપૂર્ણ થયો.’
તે વખતે અબુબકર અને ઉમર ઊભા થયા અને પૂછ્યું : ‘યા રસુલુલ્લાહ (સ.અ.વ.)! શું આ આયતો માત્ર અલી (અ.સ.) માટે છે?’ રસુલુલ્લાહ (સ.અ.વ.) એ ફરમાવ્યું : ‘ખરેખર, કયામત સુધી તેમના માટે અને મારા વાસીઓ માટે.’ તેઓ બન્નેએ કહ્યું : ‘યા રસુલુલ્લાહ (સ.અ.વ.)! અમને બતાવો તેઓ કોણ છે.’
રસુલુલ્લાહ (સ.અ.વ.) એ ફરમાવ્યું : ‘અલી, મારા ભાઈ, મારા વઝીર, મારા વસી, મારા જાનશીન અને મારી ઉમ્મતમાં મારા બાદ મારા ખલીફા, મારા બાદ તમામ મો’મેનીનોના વલી, પછી મારા પુત્ર હસન, પછી મારા પુત્ર હુસૈન, પછી મારા પુત્ર હુસૈનના નવ વંશજો, એક પછી એક. કુર’આન તેઓ બધા સાથે છે અને તેઓ બધા કુર’આન સાથે છે. તેઓ બધા કુર’આનને છોડશે નહિ અને કુર’આન તેઓ બધાને છોડશે નહિ ત્યાં સુધીકે તેઓ મને મારા હવ્ઝ પર મળે.
*આ રીતે મો’મીનોના બધા ગુણો રસુલુલ્લાહ (સ.અ.વ.) અને તેઓ ની પવિત્ર એહ્લેબય્ત (અ.સ.) ના કારણે છે જેઓ ૧૨ ઇમામો છે. અલ્લાહ આપણને આ સાચા અકીદા પર બાકી રાખે.*