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बिस्मिल्लाहिर्र्हमानिर्रहीम
अल्लाह ताला ने इमाम महदी अलैहिस्सलाम को लोगों से क्यों पोशीदा रखा है?
इक़्तेबासः 4
📚 किताब गैबते तूसी
मुसन्निफ़ः शेख़ अलतूसी (अलैहिर्रह्मा)
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बाब1: इमाम महदी (अज.) की ग़ैबत पर बेहस (हिस्सा-3)
इस्तिदलाल से साबित होता है कि इमाम महदी अलैहिस्सलाम अल्लाह ताला के मुक़र्रर करदा इमाम हैं। और ये मुम्किन नहीं कि ख़ुदा का मुक़र्रर करदा इमाम अपने फ़राएज़ से दस्तबरदार हो जाए। *लेहाज़ा हम कह सकते हैं कि इमाम महदी (अज.) अपनी ज़िम्मेदारियों को अदा करते हैं और ग़ैबत में रहते हुए भी (ख़ुदा के हुक्म के मुताबिक़) लोगों के मुआमलात को चला रहे हैं।*
इमाम (अ.) की ग़ैबत के अस्बाब में से एक वजह अल्लाह के दुश्मनों से आप (अ.) की जान को ख़तरा है। चूँकि आप (अ.) की जान ख़तरे में थी, इसलिए ग़ैबत में जाना ज़रूरी था, बिलकुल इसी तरह जैसे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम ने पहली मर्तबा अपने आपको पहाड़ों में (शेबे अबी तालिब अ.) में छिपाया था और दूसरी मर्तबा ग़ार में।
अल्लाह ने मुख़्तलिफ़ तरीक़ों से अपने नबी सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम और अपनी हुज्जतों का देफ़ा किया। बाज़ औक़ात आप (अ.) के दुश्मनों को कमज़ोर किया, बाज़ औक़ात फ़रिश्तों के ज़रीए उनकी हेमायत की। और इसी के साथ साथ वो अपने दुश्मनों से पोशीदा तौर पर उनकी हेफ़ाज़त करता रहा। अल्लाह हकीम है और वो अपने हर फे़अल की मुनासेबत को ख़ूब अच्छी तरह जानता है।
*अगर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम का किसी ज़रर के ख़ौफ़ से पोशीदा रखना जाएज़ है (जबकि उसके क़सूरवार वो लोग ही हैं जिन्हों ने आप (स.) को धमकियाँ दीं)। तो फिर उसी तरह इमाम महदी अलैहिस्सलाम की ग़ैबत क्यों मुम्किन नहीं है।*
*इमाम महदी (अज.) की हेफ़ाज़त इसलिए भी बहुत अहम है* क्योंकि कि जब गुज़शता अइम्मा (अ.) में से कोई भी शहीद हुआ तो उनकी औलाद में से हमेशा कोई दूसरा इमाम उनकी जा नशीनी के लिए मौजूद था, जब कि इमाम महदी (अ.) के मुआमले में मशहूर है कि वो बारहवें और आख़िरी इमाम हैं। उनके बाद कोई इमाम नहीं आएगा।
नेज़ इमाम महदी अलैहिस्सलाम वो हैं जो आख़िरी ज़माने में अल्लाह सुब्हानहू व तआला के दुश्मनों के ख़ेलाफ़ उठेंगे और दाएमी अद्ल व इन्साफ़ क़ाएम करेंगे।
*लेहाज़ा हम ये नतीजा अख़ज़ करते हैं कि इमाम महदी (अज.) इलाही मिशन की तकमील के वास्ते ग़ैबत में हैं।*
परवरदिगारे आलम की बारगाह में दुआगो हैं कि इमाम महदी अलैहिस्सलाम को ग़ैबत में महफ़ूज़ रखे और हमें उनके मुताल्लिक़ मज़ीद मालूमात हासिल करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए।
🤲🏻 आमीन या रब्बलुल आलमीन
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मोहम्मदिन व आले मोहम्मद व अज्जिल फरजहुम वल अन अअदाअहुम अज्मईन