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बिस्मिल्लाहिर्र्हमानिर्रहीम
क्या इमाम महदी (अज.) की ग़ैबत और ज़हूर के मुताल्लिक़ कोई पेशनगोई है?
इक़्तेबासः 7
📚 किताब गैबते तूसी
मुसन्निफ़ः शेख़ अलतूसी (अलैहिर्रह्मा)
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बाब1: इमाम महदी अलैहिस्सलाम की ग़ैबत पर बहेस (हिस्सा-6)
पैग़म्बर अकरम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम और आइम्मए मासूमीन अलैहिमुस्सलाम की जानिब से वारिद मुतअद्दिद रवायात मौजूद हैं जो इमाम महदी (अज.) की ग़ैबत और ज़हूर पर बहेस करती हैं। उनमें से अक्सर उनकी पैदाइश से बहुत पहले बयान की गईं थीं।
हमारे लिए ज़रूरी है कि हम इन रवायात का मुतालेआ करें ताकि इमाम महदी अलैहिस्सलाम की बाबरकत ज़िंदगी से मुताल्लिक़ वाक़ेआत को समझ सकें।
आईए ग़ैबत के बारे में चँद रवायतों से आग़ाज़ करते हैः
1. इमाम अली इब्ने अबी तालिब अलैहिस्सलाम ने फ़रमायाः
”इमाम महदी अलैहिस्सलाम से मुताल्लिक़ एक इबहाम और ग़ैबत होगी, जिसमें कुछ उम्मतें (हक़ से) हट जाएँगी और कुछ हेदायत याफ़्ता होंगी।“
2. इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम ने फ़रमायाः
“हज़रत यूसुफ़ (अलैहिस्सलाम) और क़ाएम (अ.) मैं मुशाबेहत है। और वो “हैरत” और “ग़ैबत” है।“
3. इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम ने अपने एक फ़र्ज़ंद से फ़रमायाः
”इमाम महदी (अज.) के लिए ग़ैबत होगी, यहाँ तक कि बहुत से लोग जो उन पर ईमान रखते होंगे मगर अपने अक़ाएद से फिर जाऐंगे। मेरे बेटे, उनकी ग़ैबत अल्लाह की तरफ़ से आज़माईश होगी, जिससे वो अपनी मख़लूक़ का इम्तेहान लेगा।“
शेख़ तूसी ने यहाँ एक बहुत ही अहम नुक़्ता बयान किया है। “वो कहते हैं कि इमाम महदी (अज.) की इमामत और ग़ैबत के तमाम वाक़ेआत पेशनगोई के मुताबिक़ सामने आए। लेहाज़ा, उन रवायात और उस के बाद के वाक़ेआत का बाहमी रब्त हमारे इस दअवे की ताईद करता है कि इमाम ज़माना (अज.) ग़ैबत में हैं।“
अब आईए क़ुरआन करीम की चँद आयात देखते हैं जो इमाम महदी (अज.) के ज़हूर की पेशनगोई करती हैं।
“और हम चाहते हैं कि उन लोगों पर एहसान करें जिन्हें ज़मीन में कमज़ोर कर दिया गया था और उन्हें पेशवा बनाएँ और उन्हें ज़मीन का वारिस क़रार दें।“
(सूरा क़िसस 5:28)
अमीरूल मोमेनीन अली इब्ने अबी तालिब (अलैहिस्सलाम) इस आयत की वज़ाहत करते हुए फ़रमाते हैः
“वो आले मोहम्मद (अ.) हैं, अल्लाह ताला उनके मसाएब के बाद महदी (अज.) को ज़ाहिर करेगा, उन को इज़्ज़त बख़्शेगा, और उनके दुश्मनों को ज़लील व रुस्वा करेगा।“
इमाम महदी (अज.) के बारे में एक और सरीह़ी आयत इस तरह हैः
”जो लोग तुम में से ईमान लाए और नेक अमल किए अल्लाह ने उनसे वअदा किया है कि वो उन्हें ज़मीन में इसी तरह जाँनशीन बनाएगा जिस तरह उनसे पहले गुज़रे हुए लोगों को बनाया था। और जिस दीन को अल्लाह ने पसंद किया है वो उन्हें ज़रूर उस पर क़ुदरत देगा।“
(सूरा नूर 55:24)
आख़िर में हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम की एक मारूफ़ रेवायत से बात ख़त्म करते है।
आप (स.) ने फ़रमायाः
”जब इमाम महदी (अज.) ज़हूर करेंगे तो लोग तनाज़ेआत और ग़ैर यक़ीनी सूरते हाल में मुब्तेला होंगे। आप (अज.) ज़मीन को अद्ल-ओ-इन्साफ़ से इस तरह भर देंगे जिस तरह वो ज़ुलम-ओ-जौर से भरी होगी।“
परवरदिगारे आलम की बारगाह में दुआगो हैं कि वो हमें इमाम महदी (अज.) की ग़ैबत से मुताल्लिक़ कुरआनी आयात और रवायात को सीखने और समझने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए।
🤲🏻 आमीन या रब्बलुल आलमीन
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मोहम्मदिन व आले मोहम्मद व अज्जिल फरजहुम वल अन अअदाअहुम अज्मईन