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*बिस्मिल्लाहिर्र्हमानिर्रहीम*
*क्या इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने दौर-ए-ग़ीबत में किसी से मुलाक़ात की है?*
इक़्तेबासः 9
📚 *किताब गैबते तूसी*
*मुसन्निफ़ः शेख़ अलतूसी (अलैहिर्रह्मा) *
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*बाब 3: उन लोगों का अहवाल जिन्हों ने इमाम महदी अलैहिस्सलाम को देखा।*
इमाम महदी (अज.) को देखने वाले या उनसे मुलाक़ात करने वालों के बारे में मुतअद्दिद रवायात मौजूद हैं। कुछ अश्ख़ास ऐसे थे जिन्हों ने आपको पहचान लिया और *कुछ ऐसे थे जिन्हों ने इमाम (अज.) के जाने के बाद एहसास किया कि वो इमाम (अज.) की सोहबत में थे।*
आईए देखें कि इन मुलाक़ातों ने कैसी शक्ल इख़तियार कीः
जैसा कि रवायात में है कि इमाम महदी (अज.) हर साल हज करते हैं इसलिए बहुत से ऐसे वाक़ेआत पेश आए हैं कि बाअज़ ख़ुशनसीब अश्ख़ास को उस दौरान इमाम (अज.) से मुलाक़ात का शर्फ़ हासिल हुआ।
उन सबने बयान किया है कि *इमाम महदी (अज.) को एक जवान, ख़ुशबूदार (मोअत्तर), चमकते (पुरनूर) शख़्स के तौर पर देखा। किसी को उनसे बेहतर शख़्सियत वाला नहीं देखा और ना ही उनसे ज़्यादा ख़ुशगवार अंदाज़ में गुफ्तुगू करनेवाला देखा। उन्हें देखने वाले उनके मजमूई अंदाज़ से मस्हूर हो गए।*
कुछ ऐसे भी हैं जिन्हों ने मनासिके हज की अदाएगी के दौरान इमाम (अज.) को देखा और फिर कुछ ऐसे भी हैं जो शऊरी तौर पर इमाम महदी (अज.) से मुलाक़ात की उम्मीद के साथ हज पर जाते रहे। *ऐसी ही एक मिसाल अली इब्ने इब्राहीम इब्ने मेह्ज़ियार की है, इस बुज़ुर्ग ने इमामे वक़्त से मुलाक़ात की उम्मीद में 20 हज किए और आख़िर कार उन की ख़ाहिश पूरी हुई।*
किसी भी सूरत में *इमाम महदी अलैहिस्सलाम से मुलाक़ात, हज के दौरान या किसी और वक़्त या मुक़ाम पर, इत्तेफ़ाक़न शुमार नहीं की जा सकती। इमाम (अज.) के ख़ुद को ज़ाहिर करने के पीछे गेहरी हिक्मत है, ये हिक्मत मुख़्तलिफ़ लोगों के लिए मुख़्तलिफ़ होती है।* मिसाल के तौर पर कुछ लोगों की मज़हबी और समाजी उमूर में रहनुमाई करना या फिर कुछ मुश्केलात में गिरफ़्तार लोगों की मदद करना।
*हमारे पास ऐसे मुतअद्दिद वाक़ेआत हैं जहाँ इमाम महदी (अज.) ने लोगों की ज़रूरीयात को पूरा करके उनकी मदद की, चाहे इक़तेसादी हो या कोई और उमूर में हो।*
इस बाब में शैख़े तूसी (रह.) ने कुछ बेहतरीन दुआएँ भी दर्ज की हैं जो इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने अपने चाहने वालों को मुलाक़ात के दौरान तालीम दी हैं।
*नतीजतन, हम ये कह सकते हैं कि अगरचे इमाम महदी (अज.) ग़ैबत में हैं, लेकिन आप (अज.) ने इज़्ने इलाही से बाअज़ अफ़राद से मुलाक़ात की है। मुम्किन है कि येह इसलिए हो ताकि मोमेनीन में ये एतेमाद पैदा हो कि उनका इमाम (अ.) मौजूद है। और उनके रोज़मर्रा के उमूर की देख-भाल कर रहा है। जैसा कि आप (अज.) ने ख़ुद अपने एक चाहनेवाले से फ़रमाया था *”जान लो कि ज़मीन कभी भी ख़ुदा की हुज्जत से ख़ाली नहीं रहेगी।”*
आईए परवरदिगारे आलम की बारगाह में दुआगो हों कि हमें उन ख़ुशनसीब लोगों में शामिल फ़रमाए जिन्हें इमाम महदी अलैहिस्सलाम से मुलाक़ात की सआदत नसीब हुई है
🤲🏻 आमीन या रब्बलुल आलमीन
*अल्लाहुम्मा सल्ले अला मोहम्मदिन व आले मोहम्मद व अज्जिल फरजहुम वल अन अअदाअहुम अज्मईन*