किताब नज्म उस साक़िब से इक़तेबासात (15)
आइये ज़माने के इमाम के मुताल्लिक़ जानें
किताब: नज्म उस साक़िब
मुसन्निफ़: मोहद्दिस ए नूरी (अ.र.)
बाब-4 (दूसरा हिस्सा)
दूसरा इख़्तिलाफ़: इमाम ए ज़माना (अ.त.फ़.श.) के वालिद ए माजिद के नाम के मुताल्लिक़
हम शियों का यह अक़ीदा है की इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) के वालिद ए मोहतरम का नाम इमाम हसन अस्करी (अ.स.) है, हालांकि अहले सुन्नत उलेमा से एक जगह ऐसी रिवायत भी दर्ज है जिसमें ज़िक्र है कि इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) के वालिद का नाम वही होगा जो रसूलुल्लाह (स.अ.व.आ.) के वालिद का था, या’नी अब्दुल्लाह (अ.स.)
मिर्ज़ा मोहद्दिस ए नूरी (अ.र.) इस उलझन को आलिमाना अन्दाज़ में हल करते हैं
सबसे पहले वह साबित करते हैं कि ज़्यादातर मो’तबर अहले सुन्नत रिवायात इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) के वालिद के नाम के मुताल्लिक़ बेबुनियाद इज़ाफ़े को क़ुबूल नहीं करती हैं, इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) के वालिद के नाम के मुताल्लिक़ यह तन्हा इज़ाफ़ा ‘ज़ैदा’ नाम के एक वाहिद शख़्स के ज़रिये किया गया है, मशहूर अहले सुन्नत आलिम हाफ़िज़ गंजी शाफ़ेई और बहुत से दीगर उलेमा का नज़रिया यह है कि ‘ज़ैदा’ रिवायात में जाली इज़ाफ़े किया करता था
दोयम अगर अहले सुन्नत हवालों से यह तन्हा रिवायत को सही मान भी लिया जाए, तो फिर भी इस से कोई तनाज़ा नहीं होगा क्योंकि एक शख़्स की कुनीयत उसका नाम भी होती है, और इमाम हसन अस्करी (अ.स.) की कुनीयत रसूलुल्लाह (स.अ.व.आ.) के वालिद ए बुज़ुर्गवार जनाबे अब्दुल्लाह (अ.स.) की कुनीयत की तरह “अबू मोहम्मद” ही है
लेहाज़ा इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) का नाम रसूलुल्लाह (स.अ.व.आ.) का नाम है और उनके वालिद की कुनीयत रसूलुल्लाह (स.अ.व.आ.) के वालिद की कुनीयत है