किताब नज्म उस साक़िब से इक़तेबासात (15)
आइये ज़माने के इमाम के मुताल्लिक़ जानें
किताब: नज्म उस साक़िब
मुसन्निफ़: मोहद्दिस ए नूरी (अ.र.)
बाब-4 (तीसरा हिस्सा)
तीसरा इख़्तिलाफ़: इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) को मुशख़्ख़स करना
यहां जनाबे मोहद्दिस ए नूरी (अ.र.) 8 ग़ैर सुन्नी गिरोहों के मुनहरिफ़ अक़ाएद का तज़किरा करते हैं जिनका इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) की शिनाख़्त के मुताल्लिक़ अक़ीदा इसना अशरी शियों के अक़ीदे से मुख़्तलिफ़ है। इन मुनहरिफ़ गिरोहों में से अक्सर का वुजूद अब बाक़ी नहीं रहा है (हालांकि तारीख़ में उनकी मौजूदगी हमारे लिए एक संगीन याद-दहानी है कि हक़ और बातिल के दरमियान एक बहुत ही बारीक लकीर है जो दोनों में फ़र्क़ को ज़ाहिर करती है। इसलिए हमको हमारी आख़िरी सांस तक हक़ से मुतमस्सिक रहने की हमेशा दुआ करनी चाहिए)
जो लोग इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) के मुताल्लिक़ इसना अशरी शियों के अक़ीदे से मुनहरिफ़ हो गये, उन में से कुछ अपनी ग़लत फहमी में मन्दरजा जेल शख़्सीयात को महदी ए मौऊद समझ बैठे।
जनाबे मोहम्मद ए हनफ़िया (अमीरुल मोमेनीन अ.स. के फ़रज़न्द), इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.), इस्माईल (इमाम सादिक़ अ.स. के फ़रज़न्द), इमाम मूसा काज़िम (अ.स.), मोहम्मद (इमाम अली नक़ी अ.स. के फ़रज़न्द) और हत्ता इमाम हसन असकरी (अ.स.)
फिर वह इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) के मुताल्लिक़ इसना अशरी शियों के अक़ीदे को इन अल्फ़ाज़ में पेश करते हैं:
“वह (शिया इसना अशरी) आप आली क़द्र, जानशीन ए बरहक़, हुज्जत इब्न अल-हसन असकरी (अ.स.) को महदी ए मौऊद और क़ाएम अल-मुन्तज़र जानते हैं, जो लोगों की नज़रों से ग़ाएब हैं और वह सूबों में जाते हैं, गुज़िश्ता तमाम आइम्मह (अ.स.) ने उनके नाम, सिफ़ात और ख़ुसूसियात को वाज़ेह किया है, और उनकी होने वाली ग़ैबत का भी ज़िक्र किया है, और यह उनके मोतबर उलेमा की मोतबर किताबों में इमाम (अ.त.फ़.श.) की विलादत से क़ब्ल दर्ज हुआ है”
आप मज़ीद तज़किरा करते हुए फ़रमाते हैं:
इमाम की तौसीफ़ का ज़िक्र अहले किताब जैसे यहूदी और ईसाई के आसमानी सहीफों और तहरीरों में भी मिलता है, जो उनको दस्तयाब थीं और उसकी वजह से उन में से कुछ अफ़राद में इस्लाम क़ुबूल कर लिया”
अल्लाह सुब्हानहु व तआला से दुआ है कि हम को इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) के अक़ीदे पर साबित क़दम रखे और हम को इन मुश्किल औक़ात में इन्हेराफ़ात से महफूज़ रखे