किताब नज्म उस साक़िब से इक़तेबासात (22)
आइये ज़माने के इमाम के मुताल्लिक़ जानें
किताब: नज्म उस साक़िब
मुसन्निफ़: मोहद्दिस ए नूरी (अ.र.)
बाब: 5 (चौथा हिस्सा)
हजरत हुज्जत इब्निल हसन अस्करी (अ.स.) ही महदी ए मौऊद हैं।
इस बाब में जनाब मोहद्दिस ए नूरी (र.अ.) 71 रिवायात (31 अहले सुन्नत हवालों से और 40 शिया हवालों से) पेश करते हैं जो यह साबित करती है कि हजरत हुज्जत इब्निल हसन अस्करी (अ.स.) ही महदी ए मौऊद हैं।
हम अपने इक़तेबासात में उन 71 में सिर्फ़ 5 का तज़किरा कर रहे हैं, आज हम चौथी रिवायत पेश कर रहे हैं जो शिया हवालों में चौदहवीं है
रसूलुल्लाह (स.अ.व.आ.) ने इरशाद फरमाया:
“जब अल्लाह सुब्हानहु व तआला ने काएनात को ख़ल्क़ किया, उस ने ज़मीन के लोगों पर एक नज़र, निगाह ए दानिश डाली और उन में से मेरा इन्तेख़ाब किया, उस ने मुझे नुबूवत अता फ़रमायी और आलमीन के लिए पैग़म्बर बना कर भेजा, फिर उस ने ज़मीन पर नज़र ए सानी की और अली (अ.स.) का इन्तेख़ाब किया और उनको इमामत अता की, और उनको मेरी उख़ूवत, जानशीनी, ख़िलाफ़त और नियाबत के लिए मुक़र्रर किया। इस तरह अली मुझ से हैं और मैं अली से हूँ, अली मेरी दुख्तर के शौहर हैं और मेरे दो फ़रज़न्द हसन और हुसैन के पिदर हैं, सब को पता चल जाए कि अल्लाह सुब्हानहु व तआला ने उनको और मुझे अपनी तमाम मख़्लूक़ पर हुज्जत क़रार दिया है और हुसैन (अ.स.) की ज़ुर्रियत में उसको रखा है जो मेरे अहकामात की हिफ़ाज़त करेगा, और मेरी वसीयत की तकमील करेगा।”
आप (स.अ.व.आ.) ने मज़ीद वाज़ेह किया:
“हुसैन (अ.स.) की ज़ुर्रियत में से नवां इमाम मेरे अहलेबैत का क़ाएम है, और इस उम्मत का महदी है, शक्ल ओ सूरत में और गुफ़्तार में वह मुझ से सबसे ज़्यादा मुशाबेहत रखता है, यक़ीनन वह एक तूलानी ग़ैबत और गुमराह-कुन हैरानी के बाद के बाद ज़ुहूर करेगा।”
आख़िर रसूल ए ख़ुदा (स.अ.व.आ.) ने पेशेनगोई फ़रमाई :
अल्लाह उसकी हिमायत करेगा, और मलाएका उसकी नुसरत करेंगे, वह ज़मीन को अदल ओ इंसाफ़ से उस तरह भर देगा, जिस तरह वह ज़ुल्म ओ जौर से भरी होगी
खुदावंद ए मुतआल हमारा शुमार उन ख़ुश क़िस्मत मोमिनीन और हज़रत महदी (अ.त.फ़.श.) से पुर-ख़ुलूस मोहब्बत करने वालों में फरमाए।