किताब नज्म उस साक़िब से इक़तेबासात (22)
आइये ज़माने के इमाम के मुताल्लिक़ जानें
किताब: नज्म उस साक़िब
मुसन्निफ़: मोहद्दिस ए नूरी (अ.र.)
बाब: 5 (चौथा हिस्सा)
हजरत हुज्जत इब्निल हसन अस्करी (अ.स.) ही महदी ए मौऊद हैं।
इस बाब में जनाब मोहद्दिस ए नूरी (र.अ.) 71 रिवायात (31 अहले सुन्नत हवालों से और 40 शिया हवालों से) पेश करते हैं जो यह साबित करती है कि हजरत हुज्जत इब्निल हसन अस्करी (अ.स.) ही महदी ए मौऊद हैं।
हम अपने इक़तेबासात में उन 71 में सिर्फ़ 5 का तज़किरा कर रहे हैं, आज हम पाँचवीं रिवायत पेश कर रहे हैं जो शिया हवालों में पन्द्रहवीं है
रसूलुल्लाह (स.अ.व.आ.) ने इरशाद फरमाया:
ऐ लोगों। जो शख़्स सूरज को नहीं देख सकता, उसको चाँद से मुन्सलिक हो जाना चाहिये, जो शख़्स हैरानी में हो और चाँद को नहीं देख सकता, उसको फ़रक़दैन से मुन्सलिक हो जाना चाहिये, और जो फ़रक़दैन को नहीं देख सकता, उसको मेरे बाद दरख़्शाँ सितारों से मुन्सलिक हो जाना चाहिये,
रावी ने सवाल किया: आप इसकी वज़ाहत करें कि सूरज, चाँद, फ़रक़दैन और दरख़्शाँ सितारे कौन हैं ?
आप (स.अ.व.आ.) ने जवाब दिया: मैं सूरज हूँ, और अली (अ.स.) चाँद हैं, जब तुम मुझे ना देखो तो मेरे बाद अली (अ.स.) से मुन्सलिक हो जाना, और फ़रक़दैन हसन और हुसैन (अ.स.) हैं, जब चाँद तुम्हारे दरमियान ना हो तो इन से मुन्सलिक हो जाना, और दरख़्शाँ सितारे हुसैन (अ.स.) की ज़ुर्रियत से 9 आइम्मह (अ.स.) हैं, उन में से नवां उनका महदी है,
फिर रसूलुल्लाह (स.अ.व.आ.) ने फरमाया:
वह मेरे बाद मेरे जानशीन और ख़ुलफ़ा हैं, आइम्मह ए सालेहीन की तादाद याक़ूब (अ.स.) के क़बीलों और ईसा (अ.स.) के असहाब की तादाद के बराबर है.
रावी: या रसूलुल्लाह (स.अ.व.आ.) आप उन के नाम भी बता दीजिये!
आप (स.अ.व.आ.) ने फरमाया: उन में सबसे पहले और उनके सरदार और पेशवा अली इब्ने अबी तालिब (अ.स.) हैं, उनके बाद मेरे नवासे हसन और हुसैन (अ.स.), उनके बाद अली इब्ने हुसैन ‘ज़ैन अल-आबिदीन’ (अ.स.), उनके बाद मोहम्मद इब्ने अली (अ.स.) ‘बाक़िर ए इल्म उन-नबीईन’, उनके बाद सादिक़ ‘जाफ़र इब्ने मोहम्मद’ (अ.स.), उनके बाद काज़िम ‘मूसा इब्ने जाफ़र’ (अ.स.), उनके बाद रज़ा ‘अली इब्ने मूसा’ (अ.स.) जो अपने वतन से बहुत दूर शहीद कर दिए जायेंगे, उनके बाद उनके फ़रज़न्द मोहम्मद ‘अल-तक़ी’ (अ.स.), उनके बाद उनके फ़रज़न्द ‘अली युन-नक़ी’ (अ.स.), उनके बाद उनके फ़रज़न्द हसन ‘अल-असकरी’ (अ.स.), उनके बाद उनके फ़रज़न्द ‘हुज्जत अल-क़ाएम’ (अ.त.फ़.श.) जो उनकी ग़ैबत के दौरान मुन्तज़र हैं और उनके ज़ुहूर के बाद उनकी इताअत की जायेगी।
इसके साथ हम ने पाँचवां बाब मुकम्मल किया। इन्शा अल्लाह अगले हफ़्ते हम छटे बाब की शुरुआत करेंगे।
अल्लाह हमारे इमाम (अ.त.फ़.श.) के ज़ुहूर में ताजील फ़रमाए, और हम को उनकी इताअत की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए।