*इक़्तिबास 25*
*किताब : नज्म उस साक़िब*
*मुसन्निफ : मोहद्दिस ए नूरी (र.अ.)*
*बाब: 6 (दूसरा हिस्सा)*
*बारहवें इमाम (अ.त.फ़.श.) की इमामत का उनके मोजिज़ात के ज़रिए साबित होना*
इस बाब में इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) की इमामत के सुबूत के तौर पर मोजिज़ात को पेश किया गया है जो इमाम ए ज़माना (अ.त.फ़.श.) और उनके नव्वाब ए ख़ास से मंसूब हैं।
गुज़िश्ता हफ़्ते हम ने इस बाब से 2 मोजिज़ात को पेश किया था, बाक़िया तीन का तज़किरा इन्शाअल्लाह हम आज करेंगे।
*तीसरा मोजिज़ा – अज़ीयत देने वाला पड़ोसी*
मोहम्मद इब्ने अहमद बयान करते हैं कि उन्होंने हज़रत ए महदी (अ.त.फ़.श.) से अपने पड़ोसी की शिकायत की जो बहुत ही अज़ीयत नाक था। एक तौक़ी आयी, जिस में लिखा था –
“बहुत ही जल्द तुमको उसके शर्र से राहत मिल जायेगी।”
अगले ही दिन उस अज़ीयत कुन पड़ोसी का इन्तेक़ाल हो गया
*चौथा मोजिज़ा – तीसरा सवाल*
अबू अहमद सोमाली बयान करते हैं कि उन्होंने एक ख़त इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) की ख़िदमत में लिखा जिस में दो चीज़ों के बारे में सवाल किया, उनका एक तीसरा सवाल भी था लेकिन उन्होंने उसको छोड़ दिया। जब हज़रत ए महदी (अ.त.फ़.श.) ने जवाब दिया, तो आपने तीनों सवालों का जवाब दिया, उस तीसरी चीज़ के मुताल्लिक़ भी जवाब दिया जिसको अबू अहमद सोमाली ने लिखने से परहेज़ किया था।
*चौथा मोजिज़ा – एक कफ़न की गुज़ारिश*
जनाबे अली इब्ने मोहम्मद सैमूरी (र.अ.) ने इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) से एक कफ़न की गुज़ारिश की। इमाम ने उनको जवाब में लिखा कि किस सन में उनको कफ़न की ज़रुरत पड़ेगी, और उनके इंतेक़ाल से दो महीने पहले उनको कफ़न भेज दिया।
इस के साथ हम ने इस अज़ीम किताब की पहली जिल्द को मुकम्मल किया। इन्शाअल्लाह अगले हफ़्ते से हम जिल्द ए दुवम से इक़तेबासात पेश करेंगे