इक़्तिबास 31
आइये अपने इमाम के मुताल्लिक़ जाने
किताब : नज्म उस साक़िब
मुसन्निफ : मोहद्दिस ए नूरी (र.अ.)
बाब: 7 (छटा हिस्सा)
उन लोगों के वाक़ेआत जिन की इमाम से मुलाक़ात हुयी
ग़ैबत ए कुबरा में इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) से मुलाक़ात के 100 वाक़ेआत नक़्ल करने के बाद जनाबे मोहद्दिस ए नूरी (र.अ.) इस बाब के आख़िर में इमाम ए ज़माना (अ.त.फ़.श.) की तूल ए उम्र का तज़किरा करते हैं।
आप लोगों की तूलानी उम्र की बहुत सी मिसालें पेश करते हैं, आपकी दी हुई मिसालें अहले सुन्नत को भी क़ाबिल ए क़ुबूल हैं।
उन मिसालों में आप नबी ख़िज़र (अ.स.) का ज़िक्र करते हैं
आप बयान करते हैं कि शेख़ सदूक़ (अ.र.) ने इमाम सादिक़ (अ.स.) से मरवी एक तवील रिवायत नक़्ल की है
और अब्दे सालेह ख़िज़र (अ.स.) के मुतल्लिक़, अल्लाह सुबहानहु व तआला ने उनको एक तुलानी उम्र अता कि है, इस वजह से नहीं कि उसने उनको नबी बनाया है, या उन पर कोई किताब ना हुई है, या वह कोई नई शरीयत लेकर आये जिसने पुरानी शरीयत को मंसूख़ कर दिया। और इस लिए भी नहीं कि उसने उनको इमाम बनाया और लोगों के लिए उनकी इताअत और इत्तेबा वाजिब क़रार दी है
बल्कि इस लिए कि यह अल्लाह सुबहानहु व तआला के इल्म में था कि हज़रत ए क़ाएम (अ.त.फ़.श.) की उम्र ग़ैबत के दौरान इतनी तूलानी हो जायेगी कि लोग इसका यक़ीन नहीं करेंगें और वह उनकी तूलानी उम्र का इन्कार करेंगें। लिहाज़ा उसने अब्दे सालेह ख़िज़र (अ.स.) की उम्र को किसी तौजीह के बग़ैर तूलानी कर दिया, सिवाए इसके कि यह क़ाएम (अ.त.फ़.श.) की तूलानी उम्र को साबित करने के लिए एक जवाज़ बन सके, ताकि मुख़ालिफ़ीन के दलाएल और सबूत बातिल हो सकें। और लोगों के पास अल्लाह सुबहानहु व तआला के ख़िलाफ़ कोई इस्तेदलाल बाक़ी ना रहे
शेख़ सदूक़ (अ.र.) ने इमाम रज़ा (अ.स.) से एक रिवायत नक़्ल की है
“… यक़ीनन वह (नबी खिज़र अ.स.) हमारे पास आते हैं, और सलाम के साथ हमारी ताज़ीम करते हैं, उनकी आवाज़ सुनी जा सकती है, लेकिन उनको देखा नहीं जा सकता, और जहां भी उनका नाम लिया जाता है, वह वहां मौजूद रहते हैं, लिहाज़ा तुम में से कोई उनका नाम ले, तो उनको सलाम ज़रूर करना चाहिए। हर साल वह हज की तक़रीबात में शिरकत करते हैं, वह तमाम मरासीम ए हज अदा करते हैं, और अरफ़ात के ख़ैमे में क़ियाम पज़ीर होते हैं। उन (नबी खिज़र अ.स.) के ज़रिए अल्लाह सुबहानहु व तआला ग़ैबत के दौरान हमारे क़ाएम (अ.त.फ़.श.) की तन्हाई को दूर करता है”
ख़ुदा वंद ए मूताआल हमारे मौला को जल्द से जल्द ज़ुहूर की इजाज़त दे, ताकि वह इस ज़मीन पर अपनी हुकूमत क़ाएम करें और ज़मीन को मुकम्मल तौर पर पाक कर दें इस तरह कि वह अद्ल ओ इंसाफ़ से भर जाए