English
Excerpt - 33
Let us know about our Imam
Book - An Najmus Saqib
Author - Mohaddise Noori r.a.
Chapter Nine
Incidents of persons lost in the wild etc. and saved by a holy personality, regarding whom it is not confirmed that he was Imam Asr (a.s.)
It is very apparent that Imam e Zamana (a.t.f.s) answers the pleas of those who seek him in difficult times.
The author quotes an incident from Behaar ul Anwaar that a person named Abdul Wafa Shirazi was made captive by Ibne Ilyas in Kerman. He sought safety from Allah through the medium of Imam Zainul Abedeen(as). He then got the honour of meeting the Holy Prophet (SAWA) in his dream who directed him to mediate through the Ahlulbayt (a.s) as follows,
1. Mediate through Holy Prophet (SAWA) himself, Janabe Zahra (SA), Imam Hasan (a.s) and Imam Husain (a.s) for the hereafter,
2. Through Imam Ali (a.s.) for revenge against oppressors in this world,
3. Through Imam Ali ibn Husain (a.s) for saving from the clutches of rulers, kings and rebellious satans,
4. Through Imam Muhammad bin Ali (a.s.) and Imam Ja’far bin Muhammad (a.s.), also for the Hereafter,
5. Through Imam Moosa bin Ja’far (a.s.) for health and wellbeing,
6. Through Imam Ali bin Moosa (a.s.), for safety in journeys by the sea or land,
7. Through Imam Muhammad bin Ali (a.s.), for sustenance,
8. Through Imam Ali bin Muhammad (a.s.), for the recommended acts and doing good to the believing brothers,
9. Through Imam Hasan Askari (a.s.), also for the hereafter
10. In case of extreme dangers one should pray fervently to Hazrat Hujjat (a.t.f.s.), and refuge should be sought from him as he comes to help the one, who calls him and he is a refuge for those who seek his refuge.
On receiving these directions from the Holy Prophet(SAWA), he immediately sought refuge from Hazrat Mahdi(a.t.f.s.). He then says;
“Suddenly I saw a person come down from the sky mounted on a horse holding an iron (or bright) weapon. I pleaded: Master, protect me from one, who is torturing me. He said: I prayed to Allah that I may be allowed to defend you and Allah, the Mighty and Sublime accepted my prayer. In the morning, Ibne Ilyas summoned me and removed the chains. He gave me a robe and asked: “Through whose mediation did you pray?” Abdul Wafa Shirazi replied: “I sought the refuge of one, who is the refuge-giver for the oppressed.”
Author then quotes a dua known as the second Dua e Tawassul from Behaar which can be used to seek mediation of Holy Imams (a.s) at the times of tribulations.
He the mentions that Ghaus is a special title of Imam e Zamana (a.t.f.s.) and it means giver of refuge. A tradition from Imam Sadiq (a.s.) says that whenever we are lost, we should say “O Aba Saleh! Guide us to the right path”.
Many incidences mention that people have called out Imam (a.s.) using this name and have been guided, when they were lost in wilderness.
Author then concludes this chapter by bringing a discussion about the assistants of Hazrat Mahdi(atfs) through whom Hazrat Mahdi(atfs) helps those in distress.
We pray to the Almighty to grant us the good fortune of being amongst those who remain steadfast on His Imamate.
Hindi
इक़्तिबास 33
आइये अपने इमाम के मुताल्लिक़ जाने
किताब : नज्म उस साक़िब
मुसन्निफ : मोहद्दिस ए नूरी (र.अ.)
बाब: 9
उन लोगों के वाक़ेआत जो सेहरा और बियाबान में गुम हो गए और तब उनको किसी मुक़द्दस शख़्सियत ने बचाया जिनके मुताल्लिक़ यह तसदीक़ नहीं हुई कि वह इमाम ए ज़माना (अ.त.फ़.श.) ही थे
यह तो बिलकुल ज़ाहिर है कि इमाम ए ज़माना (अ.त.फ़.श.) उनके इस्तग़ासे का जवाब देते हैं जो उनको मुश्किल वक़्त में पुकारते हैं
मोअल्लिफ़ बेहार अल-अनवार से एक वाक़ेआ नक़्ल करते हैं कि अब्दुल वफ़ा शीराज़ी नाम के एक शख़्स को इब्ने इलयास ने किरमान में क़ैदी बना लिया था। फिर उसने अल्लाह से इमाम ज़ैनुल आबिदीन (अ.स.) के वसीले से अमान और सलामती की दुआ की। फिर उसको ख़्वाब में रसूलुल्लाह (स.अ.व.आ.) की ज़ियारत का शरफ़ हासिल हुआ जिन्होंने उसको अहलेबैत (अ.स.) के वसीले के ज़रिये इस तरह शफ़ाअत तलब करने का हुक्म दिया।
1- ख़ुद रसूलुल्लाह (स.अ.व.आ.), जनाबे ज़हरा (स.अ.), इमाम हसन (अ.स.) और इमाम हुसैन (अ.स.) के ज़रिये आख़ेरत की शफ़ाअत तलब करे
2- इमाम अली (अ.स.) के ज़रिये दुनिया के ज़ालिमों से इन्तेक़ाम के लिए
3- इमाम अली इब्न हुसैन (अ.स.) के ज़रिये हुक्मरानों, बादशाहों और सरकश शैतानों के शिकंजे से हिफ़ाज़त के लिए
4- इमाम मोहम्मद इब्ने अली (अ.स.) और इमाम जाफ़र इब्ने मोहम्मद (अ.स.) के ज़रिये भी आख़ेरत के लिए
5- इमाम मूसा इब्ने जाफ़र (अ.स.) के ज़रिये सेहत और सलामती के लिए
6- इमाम अली इब्ने मूसा (अ.स.) के ज़रिये दरियाई या ज़मीनी सफ़र में हिफाज़त के लिए
7- इमाम मोहम्मद इब्ने अली (अ.स.) के ज़रिये रिज़्क़ के लिए
8- इमाम अली इब्ने मोहम्मद (अ.स.) के ज़रिये मुस्तहब आमाल और मोमिन बिरादरान के साथ नेकी करने के लिए
9- इमाम हसन असकरी (अ.स.) के ज़रिये आख़ेरत के लिए
10- इन्तेहाई शदीद खतरों में मोमिन को हज़रत ए हुज्जत (अ.त.फ़.श.) से पूरे ख़ुलूस के साथ दुआ करना चाहिए और उनकी बारगाह में पनाह तलब करनी चाहिए , चूंकि वह उसकी मदद को आते हैं जो उनको बुलाते हैं और वह उसके लिए पनाहगाह हैं जो उनकी पनाह तलब करे।
पैग़म्बर ए अकरम (स.अ.व.आ.) से यह हिदायत मिलने के बाद, फ़ौरन उन्होंने हज़रत ए महदी (अ.त.फ़.श.) की बारगाह में पनाह तलब की। फिर वह कहते हैं:
"अचानक मैंने एक शख़्स को आसमान से नीचे आते हुए देखा जो एक लोहा या असलहा लिए हुए एक घोड़े पर सवार थे, मैंने उनसे इस्तेग़ासा किया, मौला मुझे उस से बचायें जो मुझे अज़ीयत दे रहा है, उन्होंने कहा: मैंने अल्लाह से दुआ की, कि मुझे तुम्हारी हिफ़ाज़त की इजाज़त दी जाये और अल्लाह सुबहानहु व तआला ने मेरी दुआ क़ुबूल की है,
सुब्ह होते ही इब्ने इलयास ने मुझे बुलाया और मेरी ज़ंजीरें खोल दी, उसने मुझे एक अबा दी और पूछा "किसके वसीले से तुमने दुआ की ?" अब्दुल वफ़ा शीराज़ी ने जवाब दिया "मैंने उनकी पनाह मांगी जो मज़लूम के लिए पनाहगाह हैं"
फिर मोअल्लिफ़ बेहार अल-अनवार से एक दुआ नक़्ल करते हैं जिसको दूसरी दुआ ए तवस्सुल भी कहा जाता है, और उसको मुश्किलात के वक़्त आइम्मह मासूमीन (अ.स.) से तवस्सुल करने के लिए पढ़ा जाना चाहिए
फिर फिर वह तज़किरा करते हैं कि 'ग़ौस' इमाम ए ज़माना (अ.त.फ़.श.) का एक ख़ास लक़ब है जिसका मतलब है पनाह देने वाला। इमाम सादिक़ (अ.स.) से एक रिवायत में मिलता है कि जब भी हम भटक जायें तो हमको कहना चाहिए "या अबा सालेह ! सिरात ए मुस्तक़ीम की तरफ़ हमारी रहनुमाई कीजिये"
बहुत से वाक़ेआत में ज़िक्र हुआ है कि लोगों ने इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) को इस लक़ब से पुकारा है और उनको रहनुमाई मिली है जब वह सेहरा में भटक गये थे
मोअल्लिफ़ फिर इस बाब का इख़्तेताम हज़रत ए महदी (अ.त.फ़.श.) के मोआवेनीन के मुताल्लिक़ तज़किरा करते हुए करते हैं जिनके ज़रिये इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) परेशानहाल और मुज़तरिब अफ़राद की मदद करते हैं
हम अल्लाह सुबहानहु व तआला से दुआ करते हैं कि वह हमको उनकी इमामत के अक़ीदे पर साबित क़दम रहने की तौफ़ीक़ और शरफ़ अता फ़रमाये