किताब नज्म उस साक़िब से इक़तेबासात (6)
आइये ज़माने के इमाम के मुताल्लिक़ जानें
बाब-2 (तीसरा हिस्सा)
इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) के असमा (नाम), अलक़ाब और कुनीयत और उनकी वुजूहात
हम इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) के इस बाब में मज़कूरा 182 में से 12 अलक़ाब का तआरुफ़ जारी रखते हैं।
7. अश-मौतूर (الموتور)
कुछ रिवायात में उनको इस लक़ब से याद किया गया है, और मौतूर वह है जिसके वालिद को क़त्ल कर दिया गया हो और उसका इन्तेक़ाम नहीं लिया गया हो, अल्लामा मजलीसी (अ.र.) फ़रमाते हैं: वालिद से मुराद इमाम हसन असकरी (अ.स.) हैं, या इमाम हुसैन (अ.स.) या तमाम अइम्मह (अ.स.)
8. अत-क़ाएम (القائم)
इमाम सादिक़ (अ.स.) इस लक़ब का ज़िक्र करते हुए फ़रमाते हैं कि उनको क़ाएम इस लिए कहा जाता है कि वह उस वक़्त क़ियाम करेंगे जब उनकी याद भुला दी गयी होगी, यक़ीनन वह एक अज़ीम मक़सद के लिए क़ियाम करेंगे
9 . नूर-ए आले मोहम्मद (نور آل محمد عليهم السلام)
यह ज़मीन इमाम (अ.स.) के नूर से मुनव्वर हो जायेगी, और ज़ियारत ए जामेआ में में इसका इमाम (अ.स.) की सिफ़त के तौर पर ज़िक्र किया गया है, मेराज के मुताल्लिक़ बयानात में यह ज़िक्र हुआ है कि इमाम मेहदी (अ.त.फ.श.) की दरख़शन्दगी अहले दुनिया के लिए सुबह के रोशन सितारे की तरह थी