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बिस्मिल्लाहिर्र्हमानिर्रहीम
इमाम महदी (अज.) की विलादत पोशीदा क्यों रखी गई?
इक़्तेबासः 3
📚 किताब गैबते तूसी
मुसन्निफ़ः शेख़ अलतूसी (अलैहिर्रह्मा)
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बाब1: इमाम महदी (अज.) की ग़ैबत पर बेहस (हिस्सा-2)
इमाम की ज़रूरत और इस्मत पर बेहस के बाद (जिसका ख़ुलासा हमने गुज़श्ता इक़्तेबास में किया है। शैख़ तूसी (रह.) रेवाई और अक़्ली दलाएल पेश करते हैं ताकि उन फ़िर्क़ों की तरदीद कर सकें जो अह्ले बैत (अ.) के पैरोकारों में ही उस दौर में उभर रहा थे। उनमें से इस़्माईली आज भी मौजूद हैं।
इस़्माईलियों के दअवे की तरदीद इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की बहुत सी रेवायात से होती हैं जिनमें इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम को आप (अ.) का इलाही जानशीन क़रार दिया गया है। इसके अलावा इस सिलसिले में जो अक़्ली इस्तिदलाल बयान किया गया है वो ये है कि इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के बेटे इस्माईल की वफ़ात ख़ुद इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की हयात तैयेबा में हुई थी इसलिए इमामत के मुन्तक़िल होने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
मुसन्निफ़ मज़ीद दलाएल देते हैं कि कुरआनी आयात और मोतबर रेवायात के ज़रीए आम तौर पर इस बात को क़बूल किया जाता है कि इमामों की तादाद 12 है, जब कि इस़्माईली और दीगर फ़िर्क़ों में इस के बरअक्स है।
जहाँ तक इमाम महदी (अ.) की पैदाइश पर शक करने वालों का तअल्लुक़ है, शैख़ तूसी (रह.) वज़ाहत करते हैं कि उसकी वजह ये है कि, चूँकि उनकी पैदाइश इन्तेहाई राज़दारी के हालात में हुई और ये राज़दारी ज़रूरी भी थी क्योंकि इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम पर हर तरह की पाबंदी थी और आप (अ.) को नज़रबंद रखा गया था। आप (अ.) ने अपनी सारी ज़िंदगी सामर्रा में गुज़ारी जो कि एक बड़े क़ैदख़ाने की तरह था। आप (अ.) मुसलसल हुकूमत की कड़ी निगरानी में थे और तमाम हरकात व सकनात पर नज़र रखी जा रही थी। इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम पर बनी अब्बास के *हुकमरानों की ये सख़्ती दरहक़ीक़त इस बात की दलील है कि इमाम महदी अलैहिस्सलाम इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम के फ़र्ज़ंद हैं।* उनकी इस निगरानी का मक़सद इमाम महदी अलैहिस्सलाम की वेलादत को रोकना था। या उनकी पैदाइश के बाद फ़ौरन उन्हें ख़त्म करना था। क्योंकि ये बात आम थी कि बारहवें इमाम अद्ल क़ाएम करेंगे और तमाम ज़ालिम हुकूमतों को ख़त्म करेंगे।
इसी लिए इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने इमाम महदी (अ.) को अपने ख़ानदान के अफ़राद से भी छिपाया। जैसे कि अपने भाई जाफ़र कज़्ज़ाब से भी, जो आप (अ.) की मीरास को लालच की निगाह से देख रहे थे। लेहाज़ा इन तमाम वजूहात की बिना पर लोगों को आप (अ.) की पैदाइश के बारे में शकूक व शुबहात पैदा करने का मौक़ा मिल गया।
परवरदिगारे आलम की बारगाह में दुआगो हैं कि इमाम महदी अलैहिस्सलाम की इस ज़मानए ग़ैबत में भी उसी तरह हेफ़ाज़त फ़रमा, जिस तरह आपकी वेलादत के मौक़ेअ पर हेफ़ाज़त फ़रमाई थी।
🤲🏻 आमीन या रब्बलुल आलमीन
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मोहम्मदिन व आले मोहम्मद व अज्जिल फरजहुम वल अन अअदाअहुम अज्मईन