ख़ुलासा 16
किताब का नाम: किताब अल-ग़ैबह
मोअल्लिफ़: मोहम्मद इब्ने इब्राहिम इब्ने जाफ़र (अल-नोमानी)
बाब: 25
इस बाब में 7 अहादीस हैं, जो यह बयान करती हैं कि जो शख़्स इमाम (अ.त.फ़.श.) की मारेफ़त रखता है, उसे कभी भी (अक़ाएद के मसले में) नुक़सान नहीं होगा, चाहे ज़ुहूर में ताख़ीर हो
मिसाल के तौर पर इस बाब की आख़िरी हदीस में इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम से मंक़ूल है कि: अपने इमाम को पहचानो, अगर तुम उसको पहचान लोगे, तो फिर तुम्हें कोई नुक़सान नहीं होगा, चाहे यह अम्र में जल्दी हो या ताख़ीर, क्योंकि अल्लाह का फ़रमान है: याद करो उस दिन को जब हम तमाम लोगों को उनके इमाम के साथ महशूर करेंगे (सूरह इसरा: 71)
जो भी शख़्स अपने इमाम को पहचानता है वह ऐसा है जैसे कि वह क़ाएम (अ.त.फ़.श.) के साथ उनके ख़ेमे में मौजूद हो
बाब: 26
यह आख़िरी बाब है और 4 हदीसों पर मुश्तमिल है जो इमाम ए ज़माना (अ.त.फ़.श.) की हुकूमत की मुद्दत को बयान करती हैं। उन में से 3 अहादीस इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम और एक हदीस इमाम मोहम्मद बाक़र अलैहिस्सलाम से है। यह तमाम हदीसें बयान करती हैं कि आपकी हुकूमत 19 साल और कुछ महीने होगी।
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अल्हम्दुलिल्लाह इमाम ए ज़माना (अ.त.फ़.श.) के फ़ज़्ल से हमनें किताब अल-ग़ैबह के ख़ुलासे को मुकम्मल किया।इमाम (अ.त.फ़.श.) से इल्तेजा है कि इस छोटी सी कोशिश को क़ुबूल करें।
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इंशाअल्लाह अगले हफ़्ते हम दूसरी किताब से शुरुआत करेंगे