किताब नज्म उस साक़िब से इक़तेबासात (17)
आइये ज़माने के इमाम के मुताल्लिक़ जानें
किताब: नज्म उस साक़िब
मुसन्निफ़: मोहद्दिस ए नूरी (अ.र.)
बाब-4 (पाँचवां हिस्सा)
अहले सुन्नत उलेमा के ऐतराज़ात के जवाबात
चौथे बाब के आख़िरी हिस्से में जनाबे मोहद्दिस ए नूरी (अ.र.) अहले सुन्नत उलेमा के चंद ऐतराज़ात के आलिमाना जवाबात पेश करते हैं, हम उन में से कुछ का मुख़्तसर तज़किरा पेेेश करेंगे
तमाम ऐतराज़ात में से – एक बच्चे को इमामत के ओहदे पर मुक़र्रर करने के शरई जवाज़ के मुताल्लिक़ है.
आप जवाब देते हैं कि, क्योंकि इमामत एक मुनफ़रिद इलाही मन्सब है, लेहाज़ा दुनियावी ओहोदों के लिए नाफ़िज़ होने वाले दस्तूर यहाँ मौज़ूं नहीं हैं, आप शिआ अक़ीदे को बयान करते हुए फ़रमाते हैं कि अल्लाह जिसको चाहे अहल बना सकता है, और जिसको चाहे मुक़र्रर कर सकता है और उसकी उम्र अल्लाह के लिए माने’अ नहीं होगी। आप इस इस्तिदलाल को क़वी करने के लिए हज़रत ईसा (अ.स.) के झूले में रहते हुए उलूल अज़्म नबी के अज़ीम मन्सब पर मुक़र्रर होने के क़ुरानी वाक़ेअः का सहारा लेते हैं
जब इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) ज़ुहूर करेंगे, हज़रत ईसा (अ.स.) उनकी मदद के लिए आयेंगे, आप सवाल करते हैं कि अगर हज़रत महदी (अ.त.फ़.श.) के मददगार [हज़रत ईसा (अ.स.)] के लिए बचपन में एक इलाही मन्सब पर तक़र्रूरी क़ाबिल-ए क़ुबूल है, तो यह ख़ुद हज़रत महदी (अ.त.फ़.श.) के लिए क़ाबिल-ए ऐतराज़ कैसे हो सकता है
आख़िर में आप अहले सुन्नत उलेमा के तज़ाद को नुमायां करते हैं, जो एक तरफ़ हज़रत महदी (अ.त.फ़.श.) पर ऐतराज़ करते हैं और दूसरी तरफ़ अपने कुछ उलेमा के बच्चों के इलाही कारनामों के वाक़ेआत का दावा करते हैं
आप उनके हज़रत महदी (अ.त.फ़.श.) की ग़ैबत के मुताल्लिक़ ऐतराज़ पर बहुत सारे जवाबात देते हैं, उन में से एक जवाब में आप हज़रत ख़िज़्र (अ.स.) और हज़रत मूसा (अ.स.) का वाक़ेअः नक़्ल करते हैं, जिस में हज़रत ख़िज़्र (अ.स.) के इक़दामात की वुजूहात सिर्फ़ उनके हज़रत मूसा (अ.स.) से फ़िराक़ के वक़्त ही वाज़ेह हुयी, उसी तरह ग़ैबत की अस्ल वजह सिर्फ़ हज़रत महदी (अ.त.फ़.श.) के ज़ुहूर के वक़्त ही वाज़ेह होगी।
यहाँ अब चौथे बाब का तज़किरा मुकम्मल हुआ, इन्शाअल्लाह हम पाँचवां बाब अगले हफ़्ते शुरू करेंगे।
अल्लाह सुब्हानहु व तआला हमारी मारेफ़त में इज़ाफ़ा फरमाए